इस सवाल का जवाब देने से पहले हमें पूछना पड़ेगा: भ्रष्टाचार आखिर है क्या? "भ्रष्टाचार" शब्द की कई परिभाषाएँ मिलती हैं, पर सब के लगबग एक ही अर्थ है. विकिपीड़ीया के अनुसार[1] भ्रष्टाचार "सत्ता होने वाले लोगों के द्वारा बेईमान या धोखाधड़ी का आचरण" है. मतलब अगर सत्ताधारी लोग कोई फ़ायदे के लिए सत्ता का दुरुपयोग करे तो इसे हम भ्रष्टाचार कह सकते हैं. गौरतलब है कि यह फ़ायदा आर्थिक हो सकता है, सियासी हो सकता है, लैंगिक भी हो सकता है. अगर कोई विचारधारा फैलाकर अपना प्रभाव बढ़ाना सत्ता का मकसद है, और वह इस विचारधारा को बेईमानी और झूठ का इस्तेमाल करके फैलाता है, तो इसे हम भ्रष्टाचार ही मान सकते हैं.
मोदी सरकार अपने फ़ायदे के लिए बेईमानी करने में माहिर है. उदाहरण इतने हैं कि उनमें से चुनना मुश्किल हो
जाता है.
आम जनता तक सूचना और तथ्य पहुँचने ही नहीं चाहिए. सामूहिक हिंसा (लिंचिंग) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के आंकड़ों को दबा देती है यह सरकार[2]. आर्थिक आंकड़ों के साथ भी खेल खेलती है[3] - अर्थव्यवस्था के बारे में संसद में झूठ बोलने से हिचकिचाती नहीं[4]. इसके साथ ही नागरिकों से सूचना का अधिकार छीनने में लगी है[5]. बस उनके प्रचार प्रसार तंत्र द्वारा फैलायी गई झूठी खबरें लोगों तक पहुँचनी चाहिए.
सूचना की बात करें तो एक प्रकार की सूचना लोकतंत्र में बहुत ही अहम है: सरकार को कौन पैसे दे रहा है? इस सवाल का जवाब छिपाने के लिए सरकार ने एक अच्छा तरीका निकाला: चुनावी बॉन्ड[6]. कौन क्या देता है और बदले में क्या मिलता है, यह अब छिपाया जा सकता है. जनता ना पूछे, “किसका प्रतिनिधित्व कर रही है यह सरकार? किसकी सरकार है यह?”
लोकतंत्र को कमज़ोर करने में लगी हुई है यह सरकार. देश के हर संस्थान में दखल देती है - चुनाव आयोग, मानवाधिकार संस्थाएँ, विश्वविद्यालय, मीडिया, आंकड़े जमा करने वाली संस्थाएँ, सीबीआई, न्यायपालिका, प्रशासनिक सेवा[7]... प्रतिरोध की आवाज़ों को कुचलने में भी व्यस्त है - चाहे कानून के दुरुपयोग से, हिंसा से, या धमकी से[8]. और अब मालूम पड़ रहा है कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके सरकार के विरोधियों की जासूसी हो रही है[9].
बेईमान सरकार कहती कुछ है, करती कुछ और है. नारे लगाने में अव्वल है. बेटी बचाओ का नारा लगाती है, साथ में बलात्कारियों के समर्थन में सड़कों पर उतर आती है[10, 11, 12]. आतंकवाद के खिलाफ नारेबाजी और आतंकवादियों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत[13]
- आतंकवाद के अभियुक्त के लिए संसद में भी जगह बनाई सरकार ने[14]. अमरीका जाकर एनआरआई भक्तों के सम्मेलन से मोदी कहता है, "भारत में सब अच्छा है"[15]. जबकि भारत का हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है[16]. शायद एक झूठ को अलग-अलग भाषाओं में दोहराने से वह सच हो जाता है.
हाँ, सच है कि देश का राजनीतिक वर्ग हमेशा से अपने निजी फ़ायदे के लिए - खासकर आर्थिक फ़ायदे के लिए - सत्ता का दुरुपयोग करता आ रहा है. रिश्वत लेना और देना, धन-संपत्ति बेईमानी से जमा करना, अपने दोस्तों के हित में काम करना - ये सब तो दशकों से हो रहा है. और मोदी शासन में भी लगातार होता रहा है - किसी व्यक्ति का नाम लेना ज़रूरी नहीं है - आप तो इन्हें जानते हैं - बड़े बड़े पद पर बैठे हैं. पर मोदी सरकार की बेईमानी और सत्ता के दुरुपयोग की कोई सीमा नज़र नहीं आती है. जिस तरह नागरिकों के साथ यह सरकार लगातार धोका-धड़ी करती आ रही है, वह अभूतपूर्व है. आप खुद फ़ैसला कीजिए - क्या मोदी सरकार भारत के इतिहास में सब से भ्रष्ट सरकार है?
[यह पोस्ट पहला नरेंद्र मोदी फ़ैक्ट्स पर प्रकाशित हुआ. आपको पसंद आया तो शेयर कीजिए.]
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